इस योग का उद्देश्य क्या है?
मानवता का आध्यात्मिक विकास एवं दिव्य रूपान्तरण।
क्या सिद्धयोग निःशुल्क है?
हाँ, सिद्धयोग पूर्णतः निःशुल्क है।
रहने का क्या तरीका व दिनचर्या अपनानी होगी?
आपको अपने वर्तमान रहने के तरीके या दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं करना है और न आपको रहने का कोई नया तरीका अपनाना है। जो कुछ आप ध्यान आरम्भ करने से पहले कर रहे थे, उसे जारी रखें।
क्या मुझे किसी प्रकार की कसरत करनी है?
नहीं, आपको किसी प्रकार की कसरत नहीं करनी है। वे क्रियायें जो आफ शरीर के लिये आवश्यक हैं, वह ध्यान के दौरान स्वतः होंगी।
सामूहिक दीक्षा कार्यक्रम में आने के लिए कोई ड्रेस कोड है क्या?
नहीं
जी.एस.एस.वाई. के लिए क्या कोई पूर्व-ज्ञान या वेदों की जानकारी आवश्यक है?
बिलकुल भी नहीं. सूर्य, बदल, हवा आदि अनपढ़ और साइंटिस्ट, दोनों को सामान लाभ देते हैं. जरूरत है तो केवल इच्छा-शक्ति की.
क्या ध्यान का एक खास या उपयुक्त समय है?
नहीं, ध्यान आप किसी भी समय, जो आपको सुविधाजनक हो कर सकते हैं। ध्यान के लिये कोई तयशुदा या उपयुक्त समय नहीं है।
मुझे ध्यान कितनी देर तक करना है?
आरम्भ करने वालों के लिये, गुरू सियाग १५ मिनट के ध्यान की राय देते हैं। अगर आप आरामदायक महसूस करते हैं तो आप धीरे-धीरे ध्यान के समय की सीमा बढा सकते हैं।
एक दिन में मुझे कितनी बार ध्यान करना चाहिए?
कोई निश्चित संख्या नहीं है। फिर भी गुरू सियाग शिष्यों को एक दिन में दो बार ध्यान करने की राय देते हैं।
ध्यान के समय क्या-क्या अनुभव हो सकते हैं?
बहुत से साधक स्वतः होने वाली यौगिक क्रियायें या शारीरिक हलचल महसूस करते हैं जैसे हिलना डुलना, आगे या पीछे की ओर झुकना, इधर से उधर सिर का हिलाना, पेट का आगे की ओर फूलना या अन्दर की ओर पिचकना, हाथों की असंयमित गति, फर्श पर दण्डवत् लेट जाना, ताली बजाना, हंसना, रोना और चिल्लाना आदि।
कुछ ध्यान के दौरान ऐसे हावभाव बनाते हैं जैसे ईश्वर की आराधना कर रहे हों, कुछ को दिव्य तेज प्रकाश दिखलाई पडता है या सुगन्ध आती है अथवा ध्वनि या नाद सुनाई देता है। ऐसे दृश्य दिखलाई पडते हैं जो या तो पूर्व में घट चुके हैं या भविष्य में वह घटनायें घटित होंगीं।
ध्यान के दौरान बहुत से साधकों को अत्यधिक खुशी एवं उल्लास का अनुभव होता है जो उन्होंने इससे पूर्व पहले कभी अनुभव नहीं किया होता है। कईयों को शरीर के विभिन्न हिस्सों ने वाइब्रेशन्स महसूस होते हैं.
क्या हमें ध्यान पर बैठने से पहले अलार्म लगा लेना चाहिए?
नहीं, ध्यान पर बैठने से पहले मन ही मन १५ मिनट या जितने समय के लिये आप ध्यान करना चाहते हैं, उतने समय के लिये गुरुदेव से अपनी शरण में लेने हेतु प्रार्थना करें । आपका ध्यान स्वतः ही उतने समय बाद हट जायेगा।
अगर कोई बात अचानक मेरा ध्यान चाहती है तो क्या मैं ध्यान के मध्य में उठ सकता हूँ?
हाँ आप उठ सकते हैं, अपना कार्य समाप्त करें और तब पुनः ध्यान के लिये बैठें।
क्या मैं खाने के बाद ध्यान कर सकता हूँ?
तत्काल नहीं, ३-४ घन्टे गुजर जाने दें तब ध्यान करें। भरे पेट ध्यान न करें।
ध्यान करने हेतु मैं कहां बैठ सकता हूँ?
कहीं भी, वैसे तो आपको फर्श पर बैठ कर ध्यान करना चाहिये, लेकिन आप परिस्थिति के अनुसार कुर्सी के ऊपर, सोफे, या बिस्तर पर बैठकर भी ध्यान कर सकते हैं।
किस दिशा की ओर मुँह करके बैठें?
किसी भी दिशा की ओर, जो आपको सुविधाजनक हो।
ध्यान के लिये क्या एकान्त में बैठना आवश्यक है?
नहीं, एक बार जब आपको ध्यान की आदत पड जायेगी, यह आप भीड भरे स्थानों में भी कर सकते हैं।
क्या मैं दूसरे व्यक्तियों के साथ एक समूह में ध्यान कर सकता हूँ?
हाँ।
ध्यान करने योग्य होने के लिये क्या उम्र होनी चाहिए?
कोई भी ५ वर्ष या इससे ज्यादा का ध्यान कर सकता है। इसका मतलब है बालक, युवा, अधेड उम्र या बुजुर्ग ध्यान कर सकते हैं।
ध्यान करने के लिये क्या मुझे एक खास तरह के कपडे पहनने होंगे?
नहीं, जब ध्यान करें आप जो भी चाहें पहन सकते हैं।
क्या मैं किसी को गुरुसियाग सिद्धयोग की सिफारिश कर सकता हूँ?
हाँ।
क्या मैं किसी और के लिये भी ध्यान कर सकता हूँ?
हाँ, आप उस व्यक्ति के लिये ध्यान कर सकते हैं जो आफ दिल के बहुत करीब हो, जिसके बारे में आप बहुत चिन्ता करते हों, अगर वह किसी कारणवश ध्यान करने योग्य न हो, उदाहरणार्थ- एक बच्चा, एक बेहोश व्यक्ति और कोई जो- आध्यात्मिकता के खिलाफ हो।
जब मैं ध्यान न कर रहा होऊँ मुझे क्या करना चाहिए?
आप गुरू सियाग द्वारा दिये गये मंत्र का जाप २४सों घन्टे (अर्थात अधिक से अधिक) करें। जाप इस रास्ते पर तेजी से आगे बढने की चाबी है। मंत्र-जप काम करते, खाते-पीते, घूमते-फिरते, नहाते-धोते, ड्राइविंग करते, फ्रेश होते, मतलब ३० सों दिन हर समय, कहीं भी किया जा सकता है.
मंत्र-जप कब तक करना होगा?
लगातार कुछ समय तक जपने के बाद यह अजपा जाप बन जाता है, यानि मंत्र बिना जपे अपने आप जपा जाता है. निर्भर करता है कि आप कितनी लगन से कर रहे हैं. उतना ही जल्दी अजपा शुरू हो जायेगा. आपको अजपा शुरू होने कि चिंता किये बिना पूरे मन से जाप करना है.
जब ध्यान कर रहा होऊँ मुझे दिमाग में क्या रखना चाहिए?
केवल दो चीजें, गुरू सियाग के चित्र पर ध्यान केन्द्रित करें तथा खामोशी के साथ मंत्र का जाप करें, अगर आप दीक्षित नहीं है तो किसी अन्य ईश्वरीय नाम का जाप करें।
क्या प्रत्येक मनुष्य के लिये मंत्र अलग-अलग है?
नहीं, प्रत्येक मनुष्य के लिये एक ही मंत्र है, जो गुरू सियाग दीक्षा में देते हैं।
अगर मैं मंत्र किसी को बतला दूँ तो क्या होगा?
यद्यपि मंत्र गुरुदेव द्वारा जोर से बोलकर (माइक पर) दिया जाता है जपने वाले पर उसे किसी अन्य को बताने या जोर से बोलने पर ईश्वरीय नियम प्रतिबन्ध लगाता है। इस धर्म संहिता का उल्लंघन मंत्र को निष्प्रभावी कर देता है। गलती करने वाला अपने पूरे जीवन में सिद्धयोग की साधना से लाभ की आशा नहीं कर सकता और न उसे गुरुदेव का आशीर्वाद व कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जिसको आप मंत्र बतलाऐंगे उसका भी इस मंत्र से कोई भला नहीं होगा
क्या बीमारियाँ वास्तव में ठीक होती हैं? और क्या प्रत्येक बीमारी ठीक होती है?
हाँ इसके लिये साधक में गुरू सियाग के प्रति अडिग विश्वास, निष्ठा व समर्पण वांछित है। यदि गुरू सियाग में या उनके सिद्धयोग में आपकी निष्ठा नहीं है तो बीमारी ठीक नहीं होगी।
अगर मुझे कोई बीमारी है तो क्या मैं औषधि लेना जारी रख सकता हूँ?
हाँ, आप ऐसा कर सकते हैं जब तक गुरू सियाग में आपका पूर्ण विश्वास न हो। जब आप अपना विश्वास बढता हुआ महसूस करें, आप धीरे-धीरे औषधियाँ लेना कम कर सकते हैं।
अगर मुझे कोई बीमारी है और मैं अन्य विकल्प आजमाना चाहता हूँ- इलाज, अन्य प्रकार की योग पद्यति क्या मैं ऐसा कर सकता हूँ?
ऐसा आप अपनी स्वयं की मर्जी पर कर सकते हैं फिर भी हम दृढता के साथ यह सिफारिश करते हैं कि अन्य विकल्पों का सहारा लेने से पहले आप सिद्धयोग को पूर्ण निष्ठा के साथ करके देखें। अगर आपका विश्वास और शक्ति बटी हुई है तो आपको सिद्धयोग से वांछित परिणाम नहीं मिलेंगे।
मैंने दीक्षा ली, सिद्धयोग अपनाया और अपनी बीमारी से ठीक हो गया, और अब मैं पुनः स्वस्थ हूँ, मैंने ध्यान करना बन्द कर दिया है क्या मेरी बीमारी वापस आ जायेगी?
हमने अधिकांशतः पाया है कि जो ठीक हो जाने के बाद ध्यान करना बन्द कर देते हैं, या जिनका विश्वास लुप्त हो जाता है पुनः उस रोग के शिकार हो जाते हैं लेकिन यह सामान्य नियम नहीं बनाया जा सकता।
क्या मेरी बीमारी दीक्षा लेने के तुरन्त बाद ठीक हो जायेगी?
नहीं, धैर्य, निष्ठा, विश्वास, प्रयास तथा समर्पण आपका भी चाहिए।
पश्चिमी या लौकिक औषधि की तरह क्या इस बात की गारंटी है कि मैं ठीक हो जाऊँगा?
नहीं, सिद्धयोग औषधि की तरह कार्य नहीं करता। लेकिन यदि आपकी निष्ठा और समर्पण दृढ है तब सिद्धयोग किसी पश्चिमी/लौकिक औषधि प्रयोग से अधिक तीव्रता तथा दृढता से कार्य करता है।
अगर मैं किसी वस्तु का आदी हूँ जैसे शराब, सिगरेट, ड्रग्स, खाना इत्यादि। ध्यान आरम्भ करने से पहले क्या मुझे इनके सेवन से दूर हटने का प्रयास करना चाहिए?
नहीं, कुण्डलिनी शक्ति जो सिद्धयोग से जाग्रत होती है वह सही-सही जानती है कि आफ शरीर को क्या चाहिए, वह बिना किसी प्रयास के आपको उस वस्तु से दूर कर देती है जो आफ शरीर के लिये हानिकारक है संक्षेप में, आपको वस्तुओं को छोडेने की आवश्यकता नहीं है, वस्तुऐं आपको छोडकर चली जायेंगी।
मुझे कैसे मालूम होगा कि मेरी कुण्डलिनी जाग्रत हो गई है?
स्वतः होने वाली यौगिक क्रियायें, दृश्य दिखना, बीमारियों का ठीक होना, व्यक्त्तिव में धनात्मक परिवर्तन इत्यादि कुछ लक्षण हैं जिनसे पता लगेगा कि कुण्डलिनी जाग चुकी है।
ध्यान के दौरान मुझे कोई अनुभव नहीं होता है। इसका क्या मतलब है? क्या मैं प्रगति नहीं कर रहा हूँ? क्या मैं सही विधि अपना रहा हूँ?
आप प्रगति कर रहे हैं। यह आवश्यक नहीं है कि ध्यान के दौरान कुछ अनुभव हों। विचार करके देखें आप अपने व्यक्त्तिव में काफी धनात्मक परिवर्तन पायेंगे।
अगर मैं बीमार नहीं हूँ और न किसी चीज का आदी हूँ अर्थात मैं स्वस्थ हूँ, मैं सिद्धयोग द्वारा कैसे लाभान्वित होऊँगा?
आप अपनी आध्यात्मिक यात्रा में तेजी से प्रगति करेंगे, क्योंकि आप भौतिक मुसीबत से बंधे हुए नहीं है।
मैने सुना और पढा है कि कुण्डलिनी का जागना अत्यन्त खतरनाक है, क्या यह सच है?
नहीं, क्योंकि कुण्डलिनी एक सिद्ध (समर्थ) गुरू, गुरू सियाग द्वारा जाग्रत की गई है। एकमात्र वह ही उसकी प्रगति का अवलोकन तथा नियंत्रण करते हैं। इस प्रकार यह पूर्णतः सुरक्षित है।
क्या सिद्धयोग के कोई दुष्प्रभाव होते हैं?
नहीं।
यदि मैं सिद्धयोग नियमित रूप से नहीं करता हूँ क्या इसका मुझ पर विपरीत प्रभाव पडेगा?
नहीं, अलबत्ता, सिद्धयोग के फायदे आपको धीमी गति से अनुभव होंगे।
ध्यान करते समय गुरू सियाग के फोटो पर ध्यान केन्दि्रत करना क्या आवश्यक है?
हाँ, अगर आप कोई अन्य आकृति चुनेंगें तो सिद्धयोग के लाभ आपको नहीं मिलेंगे।
गुरू सियाग के फोटो से ही ध्यान क्यों लगता है?
गुरुदेव को निर्गुण निराकार (गायत्री) एवं सगुण साकार (कृष्ण) दोनों ही सिद्धियां प्राप्त हैं। मानवता के इतिहास मे यह पहली घटना है जब दोनों तरह की सिद्धियां एक ही जन्म में किसी मनुष्य को प्राप्त हुई हैं, इसी कारण केवल गुरुदेव सियाग के फोटो से ही ध्यान लगता है।
क्या यह योग एक खास धर्म के लिये है?
नहीं, यह सभी धर्मो, जातियों, पंथों, वर्गो, सम्प्रदायों आदि के लिये है। यह सम्पूर्ण मानवता के लिये है।